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लघुकथा- फूल और कांटा

इस मौलिक रचना लघुकथा ' फूल और कांटा ' के माध्यम से मैंने फूल और कांटे के वार्तालाप द्वारा यह दर्शाने का प्रयास किया है कि सुन्दरता पर इतराना व्यर्थ हैै. किसी भी व्यक्ति या वस्तु की सुुन्दरता उसके व्यवहार व उपयोगिता से होती है.   तो प्रस्तुत है लघुकथा.. फूल और कांटा ब्लॉग  ' गृह-स्वामिनी ' पर ' लघु कथा ' के अंतर्गत पढ़िए  एक लघु कथा-  ' फूल और कांटा '....

एक विधवा नारी की व्यथा पर कहानी-- अकेली

एक प्रश्न नारी के  व्यथित अन्तर्मन  से..  एक विधवा नारी की व्यथा पर एक  कहानी 'अकेली ' के रूप में.... क्या नारी सदा पराधीन और शक के घेरे में ही रहेगी. कभी पिताके, कभी पति के, कभी बेटे के. क्या पढ़ लिख कर और आत्मनिर्भर होते हुए और सारे दायित्व निभाते हुए भी परवशता का एहसास ढ़ोना नारी की शाश्वत नियति बन कर रह गयी है.  एक प्रश्न नारी के व्यथित अन्तर्मन से.. एक कहानी 'अकेली ' के रूप में....   नारी विडम्बना पर पढ़ें- कन्या-भ्रूण हत्या कविता मां की कोख में स्थित कन्या-भ्रूण की मां से विनती अकेली उसने सिर उठा कर आकाश की ओर देखा, अचानक ही काले-काले बादल घिर आये थे. तेज बारिश होने की सम्भावना थी.                      जल्दी-जल्दी घर की तरफ कदम बढ़ाते हुए उसने सोचा, यह जीवन भी आसमान की तरह ही है. अभी-अभी सब कुछ साफ़, स्पष्ट उजला - उजला सा जीवन, फिर अचानक ही ना जाने कहाँ से विडम्बनाओं के काले-काले बादल आकर जीवन को अंधकार से ढक देते हैं. नियति  कभी  जीवन- पटल पर इंद्र - धनुषी रंग बिखेर देती है तो कभी मांग से सिन्दूर पोंछ , अधरों से लालिमा छीन जीवन का सम्पूर्ण लालित्

प्रेम कहानी गीतों की जुबानी- मैं तो छोड़ चली बाबुल का देश

आप के मनोरंजन के लिए प्रस्तुत है हमारे नये स्तम्भ गीतों की जुुुुुबानी मेंं गीतों के माध्यम से रची एक मनोरंजक प्रेम कहानी-  'गीतों की जुबानी' स्तम्भ के अन्तर्गत आपके मनोरंजन के लिए हम गीतों के माध्यम से नयी नयी मनोरंजक   कहानियां   प्रस्तुत करेंगे. आशा है आप को हमारा यह नया स्तम्भ अवश्य पसन्द आयेगा. इस बार पढ़िये.. प्रेेम कहानी  गीतों की जुबानी-  मैं तो छोड़ चली बाबुल का देश ' मैं तो छोड़ चली बाबुल का देश पिया का घर प्यारा लगे' सुहाने सपनों के झूले में झूलती रचना जल्दी से जल्दी यह खबर अपनी प्यारी सखी रश्मि को सुनाने को बेताब थी. चाय का कप और जिंदगी - सुने यह कविता वीडियो के रूप में कल ही सपनों के राजकुमार सा सुंदर सजीला केशव अपनी मां के साथ उसे देखने आया था. मां बेटे को रश्मि पसन्द आ गयी थी और वे रश्मि को अँगूठी पहना कर झटपट मंगनी की रस्म भी सम्पन्न कर गये.  जल्दी से जल्दी शादी की तारीख निकलवाने के लिए कह कर वो लोग चले गए थे. ' ख्वाब हो तुम या कोई हकीकत कौन हो तुम बतलाओ'

एक दार्शनिक लघुकथा- जिंदगी और मैं

कम पंक्तियों में ही बड़ी बात, एक पूरा फलसफा बयान करने में सक्षम होती है. ऐसी बात जो व्यक्ति को सोचने पर मजबूर कर दे. लघु कथा ' जिंदगी और मैं ' भी कुछ ऐसी ही लघुकथा है ऐसी ही एक लघुकथा प्रस्तुत है.. जिंदगी और मैं   एक दार्शनिक   विचार लघुकथा "  जिंदगी और मैं  "  के रूप में ...     जिंदगी और मैं

लघु कथा- सूखे गुलाब

अधूरे प्रेम को प्रदर्शित करती एक प्रेम कहानी ..... लघु कथा   सूखे गुलाब  डायरी में बंद सूखे हुए गुलाब जिंदगी की हकीकत तो नहीं हो सकते किंतु  गुलाब की  उन सूखी पंखुड़ियों को देख हृदय सब कुछ भूल अतीत की मधुर स्मृतियों की खुशबु में कुछ पल के लिए खो जाए इतनी क्षमता तो रखते ही है. चाय का कप और जिन्दगी - कविता की वीडियो देखें आज सुबह अचानक ही कोई फाइल ढूंढ़ते हुए एक पुरानी डायरी में रखी गुलाब की कुछ सूखी पंखुड़ियां जमीन पर झर पड़ी. तभी से डा.राज का मन रह-रह कर अतीत के पन्ने पलटने लगता, अनायास ही. 

लघुकथा- सासूत्व

सासूत्व सास बहू का रिश्ता अपनी तरह का एक अलग ही रिश्ता है - कुछ खट्टा, कुछ मीठा . 

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पतिपत्नी के प्रेम पर दिल को छू लेने वाली भावपूर्ण कविता 'साथी मेरे'

पतिपत्नी के प्रेम पर आपने बहुत कविताएं पढ़ी होगी। पतिपत्नी के संबंधों की गहनता पर   पति द्वारा   जीवन संगिनी अर्थात   पत्नी को सम्बोधित करती दिल को छू लेने वाली यह   भावपूर्ण कविता  ' साथी मेरे ' पढ़ें . पति-पत्नी के बीच का संबंध   बहुत गहरा , बहुत पवित्र और जन्म जन्मांतर का संबंध होता है. एक दूसरे के लिए वह संगी साथी,जीवन साथी सभी कुछ होते हैं. दोनों एक दूसरे के पूरक होते हैं. संग संग रहते हुए वह एक दूसरे की अनुभूतियों   में समा जाते हैं. इसी पवित्र, प्यारे और सुंदर रिश्ते को लक्षित करते हुए लिखी गई है मेरी यह मौलिक  कविता .  आशा है आपकी प्रतिक्रियाएं अवश्य मिलेगी...

पति पर हास्य कविता| पति पत्नि की मनोरंजक नोकझोंक

हम लेकर आये हैं अंजू अग्रवाल द्वारा रचित पति पर   हास्य कविता। पति पत्नी की नोकझोंक प र लिखी गयी यह कविता निश्चय ही आपका मनोरंजन करेगी.   एक हास्य पति पर लिखी कविता कवि सम्मेलनों में प्राण फूंक देती हैं. उस पर भी पत्नी पर लिखी गयी हास्य कविताओं का तो श्रोता कुछ अधिक ही आनंद लेते हैं.  हास्य कवि तो मंच पर पत्नियों की बैंड बजा कर वाहवाही लूट मस्त रहते है पर एक हास्य कवि की पत्नी से यह बर्दाश्त न हुआ कि हमारा मजाक उड़ा पतिदेव वाहवाही लूटें तो उसने भी पतिदेव की बैंड बजाने की सोच एक हास्य कविता लिख दे मारी।  ऐसा ही कुछ दृश्य इस कविता की विषय वस्तु हैं.      कविता का आनंद ले-.    हास्य कविता-  मैं तो बिन सुने ही हंसता हूँ सोचा हमने कि मंच, पर हम भी जमेंगे श्रोता वाह वाह तब , हम पर भी करेंगे तंज कसते पत्नियों पर, यह मंच पर नित्य  हास्य कवि पति अब, हमसे भी ना बचेंगे. कविता एक हास्य की , हमने भी लिख मारी कहा इनसे सुनो जी , बोले आयी आफत हमारी पता था हमको यह, कि नौटंकी जरूर करेंगे नहीं हिम्मत मगर इतनी, कि कविता ना सुनेंगे. कहा हमने बोरिंग नहीं, कविता हंसने वाली है बोले तपाक से अच्छ

'मेरी तुम ज़िंदगी हो' valentine day love poem for husband from wife

A valentine day love poem(प्रेम कविता) for husband from wife (पति के लिए पत्नी की प्रेम भावनाएं 'मेरी तुम ज़िंदगी हो' कविता के रूप में)..  कितना प्यारा रिश्ता होता है पति पत्नी का. कभी खट्टा कभी मीठा। जितना चटपटा जायकेदार तो उतना ही मन की गहराइयों तक उतर कर अपनेपन की अलौकिक अनुभूति से सराबोर करने वाला. मगर यह रिश्ता प्यार की अनुभूति के साथ साथ प्यार की अभिव्यक्ति भी चाहता है, दिल की गहराइयों से निकले प्यार के कुछ बोल भी चाहता है. वो बोल अगर अपने जीवनसाथी के लिए  पति या पत्नी द्वारा रचित, लिखित या कथित प्रेम कविता के रूप में हो तो कहना ही क्या. एक नया रंग मिल जाएगा आपके प्यार को.  हमारे भारतीय समाज में जिम्मेदारियों और जीवन की भागदौड़ के रहते अक्सर पति-पत्नी ( husband wife) एक दूसरे के प्रति अपने प्रेम को मुखर नहीं करते और जीवन का ढर्रा एकरस सा चलता रहता है. जीवन में रंग भरने के लिए प्रेम की अभियक्ति भी जरूरी है. वह I love you वाली घिसी पिटी अभिव्यक्ति नहीं बल्कि हृदय की गहराई से निकले प्रेम के सच्चे भाव. शायद ऐसे ही अवसरों के लिए अब Valentine day  और marriage day (mar

दाम्पत्य जीवन मे पत्नी के लिए पति के भावों को व्यक्त करती प्रेम कविता- मैं एक फूल लेकर आया था

प्रेम भी अभिव्यक्ति चाहता है. दाम्पत्य जीवन में एक दूसरे के लिए कुछ आभार व प्यार भरे शब्द वो भी प्रेम   कविता के रूप में पति-पत्नी के प्रेम को द्विगुणित कर देते हैं.  युगल   चाहे वे दम्पति हो अथवा  प्रेमी-प्रेमिका  के बीच  प्रेम  की एक नूतन अभिव्यक्ति.... पत्नी के समर्पण और प्रेम के लिए पति की और से आभार और प्रेम व्यक्त करती हुई एक भावपूर्ण  प्रेम  कविता...   मैं एक फूल लेकर आया था

एक अध्यात्मिक कविता 'मन समझ ना पाया'

प्रस्तुत है जीवन के सत्य असत्य का विवेचन करती एक आध्यात्मिक कविता 'मन समझ ना पाया'.  वास्तव में मन को समझना ही तो आध्यात्मिकता है. यह मन भी अजब है कभी शांत बैठता ही नहीं. जिज्ञासु मन में अलग-अलग तरह के प्रश्न उठते हैं. कभी मन उदास हो जाता है कभी मन खुश हो जाता है.  कभी मन में बैराग जागने लगता है कभी  आसक्ति . मन के कुछ ऐसे ही ऊहापोह में यह कविता मेरे मन में झरी और मैंने इसे यहां 'गृह-स्वामिनी' के  पन्नों  पर उतार दिया. पढ़कर आप भी बताइए कि यही प्रश्न आपके मन में तो नहीं उठते हैं. मन समझ ना पाया क्या सत्य है, क्या असत्य मन समझ ना पाया  कभी शांत झील सा वीतरागी यह मन  तो कभी भावनाओं का  अन्तर्मन में झोंका आया क्या सत्य है, क्या असत्य मन समझ ना पाया छोर थाम अनासक्ति का रही झाँकती आसक्ति लगा कोलाहल गया  हो गयी अब विश्रांति  जगी फिर यूं कामना  मन ऐसा उफनाया  कैसा तेरा खेल, प्रभु कोई समझ ना पाया क्या सत्य है, क्या असत्य मन समझ ना पाया कैसा जोग, कैसा जोगी  बैरागी कहलाये जो  बन  जाये  प्रेम-रोगी  सांसो में जो बस जाए  क्या मन वो भुला पाया 

क्या आपको भी अपना जीवन कठिन लगता है? कैसे बनाये अपने जीवन को आसान

आपको अगर अपने जीवन में परिस्थितियों के कारण अथवा किसी अन्य कारण से कठिनाई महसूस होती है तो शायद हमारा यह लेख आपके किसी काम आए जिसमें बताया गया है कि आप कैसे अपनी सोच बदल कर कठिन परिस्थितियों को भी अपने वश में कर अपने कठिन प्रतीत होने वाले जीवन को आसान व आनंदपूर्ण बना सकते हैं.   क्या वास्तव में जीवन जीना इतना कठिन है? क्या आपको भी अपना जीवन इतना कठिन लगता है

मां की भावना व्यक्त करती हुई कविता- मैं माँ हूँ

अपने बच्चों के जीवन के प्रति एक माँ की भावना में सदा बच्चों का कल्याण ही नीहित होता है. एक माँ की ऐसी ही भावनाओं को व्यक्त करती है यह कविता 'मैं माँ हूँ'....  एक मां ही अपने बच्चों के लिए इस प्रकार से सोच सकती है कि वह अपने बच्चों को दुनिया का हर सुख देना चाहती है और उनका जीवन प्रकाशमय बनाना चाहती है.    नारी शक्ति पर यह कविता भी पढ़ें  प्रस्तुत कविता में किसी भी मां की यही भावना व्यक्त होती है कविता- मैं माँ हूँ  मैं माँ हूँ सोचती हूं हर समय आमदनी कैसे बढ़े कैसे पैसे बचें क्योंकि बिना धन के मेरी ममता का कोई मोल नहीं बिन साधन भावनाओं का कोई तोल नहीं धन के बिना कैसे दे पाऊंगी मैं अपने बच्चों को उनका भविष्य उनके सपने नहीं देखी जाती मुझसे समय से पहले उनकी समझदारी उमंगों को मुट्ठी में भींच लेने की लाचारी मैं नहीं देना चाहती उन्हें ऐसी समझदारी ऐसी दुनियादारी, ऐसे संस्कार कि मन को मार वो स्वयं को समझे समझदार मैं माँ हूँ, बस माँ उनकी मुट्ठी में देना चाहती हूँ उनका आकाश परों को उड़ान मन मानस में प्रकाश मैं रखना चाहती हूँ उन्हें अंधेरों से दूर बहुत दूर.   पढ़े-  बेटी के जन्म पर प्य